Property Rule – आज के वक्त में प्रॉपर्टी को किराए पर देना एक आम आमदनी का जरिया बन चुका है। चाहे छोटे शहर हों या बड़े महानगर, हर जगह लोग अपनी रिहायशी या कमर्शियल प्रॉपर्टी को किराए पर देकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। यहां तक कि कई फिल्मी सितारे और बिजनेसमैन भी रेंट से मोटी रकम कमा रहे हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को यह पता है कि अगर आपने समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए, तो किरायेदार ही आपकी प्रॉपर्टी का मालिक बन सकता है।
जी हां, यह कोई मजाक नहीं बल्कि एक सच्चाई है जो भारतीय कानून के तहत मान्य है। मंगलवार, 20 मई को इस बारे में जो अपडेट आया है, वो सभी प्रॉपर्टी मालिकों के लिए जरूरी और चौंकाने वाला है।
क्या है लिमिटेशन एक्ट 1963 और इसका मकसद?
सीमा अधिनियम 1963, जिसे इंग्लिश में Limitation Act कहा जाता है, एक ऐसा कानून है जो किसी संपत्ति पर लंबे समय तक काबिज रहने वाले व्यक्ति को मालिकाना हक देने की इजाजत देता है।
अगर कोई व्यक्ति किसी प्रॉपर्टी पर लगातार 12 साल तक कब्जा बनाए रखता है, और इस दौरान असली मालिक कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराता, तो कब्जेदार व्यक्ति उस जमीन या मकान का मालिक बनने का दावा कर सकता है। इसे ही कानूनी भाषा में प्रतिकूल कब्जा यानी Adverse Possession कहा जाता है।
क्या होता है प्रतिकूल कब्जा?
जब कोई किरायेदार या कोई भी व्यक्ति बिना मालिक की इजाजत के 12 साल तक लगातार प्रॉपर्टी पर कब्जा बनाए रखता है और असली मालिक इस पर कोई एक्शन नहीं लेता, तो कानून उसे उस संपत्ति का हकदार मान सकता है।
यह मामला तब और पक्का हो जाता है जब:
- लीज खत्म हो चुकी हो लेकिन किरायेदार फिर भी मकान खाली न करे
- किरायेदार किराया देना बंद कर दे और मालिक कोई शिकायत दर्ज न कराए
- मालिक और किरायेदार के बीच कोई समझौता या नया एग्रीमेंट न हो
12 साल में कैसे बदल सकता है मालिकाना हक?
निजी संपत्ति के मामले में अगर कोई व्यक्ति बिना विवाद 12 साल तक कब्जा बनाए रखता है, और मालिक ने कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की है, तो कानून उसे वैध मालिक मान सकता है।
वहीं, सरकारी जमीन पर यह अवधि 30 साल की होती है। यानी कोई अगर सरकारी जमीन पर 30 साल तक कब्जा करके बैठा है, तो वो भी कानूनन मालिक बनने का दावा कर सकता है।
क्या-क्या शर्तें पूरी करनी होती हैं?
- कब्जा लगातार और बिना रुकावट होना चाहिए
- किसी तरह का लिखित या मौखिक समझौता नहीं होना चाहिए
- असली मालिक ने उस दौरान कोई आपत्ति या कोर्ट केस न किया हो
सरकारी प्रॉपर्टी भी नहीं है सेफ
बहुत से लोगों को लगता है कि सरकारी जमीन पर कब्जा करके मालिक बनना मुमकिन नहीं है, लेकिन सच ये है कि लिमिटेशन एक्ट सरकारी जमीनों पर भी लागू होता है। हां, सरकार ज्यादातर मामलों में सख्त कार्रवाई करती है, लेकिन अगर लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाए तो कब्जेदार को कानूनी फायदा मिल सकता है।
मकान मालिक क्या करें कि प्रॉपर्टी हाथ से न जाए?
अगर आप अपनी जमीन या मकान किराए पर दे रहे हैं, तो इन बातों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें:
- किराए पर देने से पहले एक लिखित एग्रीमेंट जरूर बनवाएं।
- हर 11 महीने में नए सिरे से एग्रीमेंट रिन्यू कराना न भूलें।
- किरायेदार के साथ लगातार संपर्क में रहें और बातचीत का रिकॉर्ड रखें।
- किराए की रसीद या बैंक ट्रांजैक्शन का पूरा हिसाब रखें।
- समय-समय पर अपनी प्रॉपर्टी की जांच खुद करें या वकील की मदद लें।
अगर प्रॉपर्टी खाली हो जाए तो क्या करें?
कई बार ऐसा होता है कि किरायेदार बिना बताए प्रॉपर्टी छोड़ देता है या कोई अनधिकृत व्यक्ति कब्जा कर लेता है। ऐसी स्थिति में ये जरूरी है कि आप तुरंत कब्जा लेने के लिए कानूनी स्टेप उठाएं:
- खुद के कब्जे की पुष्टि के लिए कोई दस्तावेज तैयार करें
- अगर कोई गैरकानूनी कब्जा नजर आए तो तुरंत नोटिस भेजें
- कोर्ट जाने से न डरें, समय बीतने से आपका हक छिन सकता है
तो अगर आप प्रॉपर्टी मालिक हैं, चाहे वो मकान हो, दुकान हो या कोई प्लॉट, तो मंगलवार के इस अपडेट को गंभीरता से लीजिए। अगर आपने सावधानी नहीं बरती, तो एक दिन किरायेदार ही आपके मकान पर दावा कर सकता है। कानून की जानकारी और समय पर कदम उठाकर ही आप अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रख सकते हैं।